बुद्ध पूर्णिमा पर विशेष: गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व

आज बुद्ध पूर्णिमा का पावन पर्व है। भारत में बुद्ध पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा दुनिया भर में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन गंगा स्नान और दान धर्म के कार्य का विशेष महत्व माना गया है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा 23 मई को मनाई जाएगी। गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का 9वां अवतार भी माना जाता है ।

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बुद्ध के जीवन के कुछ अहम पड़ाव

कैसे बीता बचपन: बताते हैं कि गौतम बुद्ध का जन्म राजा शुद्धोदन के घर सिद्धार्थ गौतम के रुप में हुआ। उनके जन्म के समय भविष्यवाणी की गई थी कि राजकुमार आगे चलकर एक महान सम्राट बनेंगे। इसलिए उन्हें बाहरी दुनिया से अलग रखा गया ताकि वह धार्मिक जीवन से प्रभावित ना हो। हालांकि 29 साल की उम्र में राजकुमार ने दुनिया को अधिक देखने का फैसला किया और अपने रथ में महल के मैदान से भ्रमण शुरु किया।

क्यों लिया महल छोड़ तपस्वी बनने का निर्णय: अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने एक भिक्षु को देखा और उस व्यक्ति के शांतिपूर्ण आचरण से प्रभावित हुए। इसके बाद उन्होंने यह पता लगाने के लिए कि वह आदमी अपने चारों ओर इतनी पीड़ाओं के बावजूद इतना शांत कैसे रह सकता है, महल छोड़ने का निर्णय लिया और तपस्वी बन गए।

कैसे हुई बौद्ध धर्म की स्थापना: उन्होंने महल छोड़ दिया और तपस्वी बन गए। उन्होंने चिकित्सा का अध्ययन किया और जल्द ही उनकी प्रणालियों में महारथ हासिल कर ली। फिर आत्मज्ञान के उच्चतम स्तर निर्वाण की तलाश में निकल गए। वह एक बरगद के पेड़ के नीचे बैठ गये और आत्मज्ञान प्राप्त करने की कोशिश करने लगे। एक बार जब उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ तो उन्होंने इसके बारे में प्रचार करना शुरु कर दिया और बौद्ध धर्म की स्थापना की।

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बुद्ध पूर्णिमा पर गंगा स्नान का महत्व

बुद्ध पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण त्योहार है क्योंकि यह बुद्ध के जीवन का स्मरण कराता है और आधुनिक समय में उनकी
शिक्षाओं पर प्रकाश डालता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करना बहुत ही शुभ माना गया है। कहते हैं कि ऐसा करने से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति तन और मन दोनों ही शुद्ध व पवित्र हो जाता है।

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