हाल के दिनों में हम लोग ये दोनों शब्दों को सुनते आ रहे हैं । अक्सर लोग दोनों को एक ही चीज़ समझते हैं बल्कि दोनों बिलकुल अलग अलग चीज़ें हैं।
हम ज़्यादा टेक्निकल ना जा कर सामान्य शब्दों में समझने की कोशिश करेंगे। चलिये समझने के लिये हम हृदय को एक पानी के पम्प की तरह मानते हैं। पम्प को अगर देखें तो इसमें दो चीज़ें हैं। पहली की उसमें बिजली का प्रवाह आता है और उस बिजली के प्रवाह से जो ऊर्जा आती है उसकी मदद से पम्प पानी को खींच कर बाहर फेंकता है।
हार्ट अटैक मैं क्या होता है?
अगर पम्प के नली में कुछ फँस जाए तो पम्प पानी ठीक से फेंक नहीं पाएगा |
हार्ट अटैक में यही होता है। हृदय की नली में किसी कारणवश सिकुड़ने आ जाये या कुछ फँस जाए या जम जाए तो वो शरीर में खून अच्छे से नहीं भेज पाता। हार्ट अटैक में मरीज़ अचानक से बेहोश नहीं होते।
ये लक्षण देखने को मिल सकते हैं
- सीने में दर्द होना।
- यह दर्द पेट के ऊपर की तरफ जाता है कभी बायें हाथ या कंधे की तरफ जाता है कई बार जबड़े में या दांत में भी दर्द हो सकता है।
- सांस लेने में तकलीफ और पसीना आना।
- कुछ लोगो को गैस होने की फीलिंग आती है।
कार्डियक अरेस्ट में क्या होता है?
लेकिन अगर पम्प में बिजली का प्रवाह अचानक बंद हो जाए तो पम्प बिलकुल काम करना बंद कर देगा। कार्डियक अरेस्ट में यही होता है। हृदय में करेंट का प्रवाह अचानक से बंद हो जाता है जिसके कारण हृदय अचानक से पूरी तरह रुक जाता। इसी कारणवश मरीज़ अचानक से तुरंत बेहोश हो जाता।
कार्डियक अरेस्ट में क्या करें?
इसमें आप CPR दे कर कोशिश करते हैं कि हृदय वापस पम्प करना शुरू करे या प्रेशर से वो खून पम्प करता रहे। और जैसे ही मरीज़ अस्पताल पहुँचता है AED मशीन की मदद से उसे वापस से स्टार्ट करने की कोशिश की जाती है।
आशा करते हैं कि आपको दोनों के बीच अंतर समझने में थोड़ी आसानी होगी।
नोटः यह जानकारी डॉ अनुज कुमार के ट्वीटर (एक्स) पोस्ट से ली गयी है. वह मैक्सिलोफेशियल सर्जन और पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट हैं.