कोविड वैक्सीन और लोकसभा चुनाव: स्वास्थ्य व्यवस्था का राजनीतीकरण!

लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को हम हमेशा राजनैतिक उदासीनता से जोड़ कर देखते आ रहे हैं। और ये सच है क्योंकि स्वास्थ्य कभी एक राजनैतिक मुद्दा बना नहीं। लेकिन कोविड वैक्सीन को लेकर जिस तरह दोनों तरफ़ से राजनैतिक लाभ लेने की कोशिश हुई है वो एक ख़राब परिपाटी की शुरुआत है।

वैक्सीन को लेकर जिस तरीक़े से शुरुआत से लेकर अभी तक विवाद होता आ रहा है वो एक देश के तौर पर हमारी अपरिपक्वता को दर्शाता है।

कोई भी वैक्सीन बनती है तो वो कई सालों के दौर के रिसर्च के बाद लोगों के बीच पहुँचती है। लेकिन कोविड के दौरान वो महामारी इतनी बड़ी थी कि उसका समय नहीं मिला।

आप के जितने भी सवाल हैं वैक्सीन को लेकर, यक़ीन मानिये की उसमें से किसी सवाल का निश्चित जवाब नहीं है अभी और कोई अभी दे भी नहीं सकता।
जैसे जैसे रिसर्च आगे बढ़ेगा इसे लेकर चीजें और बेहतर समझ में आएँगी। आप अभी जितनी भी चीज़ें वैक्सीन के पक्ष या विरोध में अभी सुन रहे हैं वो सारी चीज़ें अभी कसौटी पर खड़ी नहीं उतरी है।

ये भी हो सकता है कि कार्डियक अरेस्ट या अन्य समस्याएँ आ रही हैं वो वैक्सीन की वजह से ना हो कर कोविड बीमारी के कारण हो रही हो। तो किसी भी निष्कर्ष पर अभी आने से बचें।

वैक्सीन को लेकर जो भयभीत हैं वो इस बात को समझें कि हम वैश्विक महामारी के भयानक दौर से गुज़रे हैं। ईश्वर को धन्यवाद दें आप और हम उस त्रासदी के दौर से निकल कर ज़िंदा हैं। आप अगर ये सोच कर डर रहे हैं कि वैक्सीन ले लिया तो क्या होगा, तो ये भी सोचिये कि अगर वैक्सीन ना लिया होता तो आज शायद जीवित नहीं भी रह सकते थे।

क्या साइड इफ़ेक्ट है, कब तक रहेगा और क्या निदान है ये वैज्ञानिक वर्ग तय करेगा और जल्द करेगा।

अगर आपको किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या नहीं आ रही है तो अकारण घबराने जैसी कोई बात नहीं। अगर किसी प्रकार की शारीरिक समस्या है तो बस उसे नज़रअंदाज़ ना कर डॉ से मिलें। शंका और संशय के माहौल से निकलें।

अभी के हालात में ये ज़रूरी है कि एम्स सरीखे संस्थान के निदेशक को सरकार नामित करे की वो आएँ और देश को संबोधित कर उन्हें भरोसा दें कि सब ठीक होगा।

नोटः यह जानकारी डॉ अनुज कुमार के ट्वीटर (एक्स) पोस्ट से ली  गयी है.  वह मैक्सिलोफेशियल सर्जन और पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट हैं.

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